Saturday 17 September 2016
Monday 30 May 2016
Champions forever
Athletics & IIT-K Athletics Family
शरीर थक जाता है,
मन भी भर जाता है,
पर ये दिल नही मानता....
फिर अच्छा भी लगता है
पर ये सब और कोई नही जानता...
जब अगली सुबह होती है
तो Body दर्दो की गहरी नींद मे खोई हुई होती है
तब मन मार के जगना भी पडता है :(
क्योंकि आगे बढने के लिये आगे भी बढना पडता है
ground पर जाकर पहले सब एक Round की walk पर जाते है
उस एक Round की walk से ही हम तो मन तैयार कर लाते है
जब मन तैयार तो लोगो मे फिर से वही जोश आ जाता है
पर shin -pain हुआ तो warm-up मे ही होश उड जाता है
उसके बाद लोग हिम्मत मार कर coaches के पास पहुँच जाते है
किसी-किसी दिन तो Workout सुनते ही लोगो के फिर से तोते उड जाते है ;)
कभी-कभी लगता है
"ये सब बेमतलब के दर्द मै क्युँ सह रहा हुँ
पता नही साला इस Athletics team में ही क्युँ रह रहा हुँ :/ "
लेकिन जो टीम Continue करता है वो इसका जबाब जरुर पाता है
और बस वो जबाब ही उसे रोज Practice पे खींच लाता है,
शायद इस टीम का Culture ही सबसे सही है
यहाँ लोगो ने अक्सर अच्छी बातें ही कही है
IITK मे और भी बहुत कुछ enjoy किया है पर्
जिस चीज से दिल को असली खुशी मिली ये "Athletics टीम" भी वही है
और
शायद इस टीम के लोग ही बहुत अच्छे होते है
कैसे भी हो पर टीम के लिये सच्चे ही होते है
चाहे कितने भी बडे और समझदार हो गये है
फिर भी टीम मस्ती मे तो वो बच्चे ही होते है
अच्छा लगता है जब
"जब टीम मे लोग एक्-दूसरे की care करते है
परिवार वालो की तरह बहुत सी चीज share करते है" <3
शायद ये सब चीजे ही लोगो को यहाँ ठहरा देती है
और फिर यही टीम Bonding "Athletics GC" का पहरा देती है :)
यहाँ से जब लोग निकल कर जाते है तो
"सामान से कहीं ज्यादा उनका दिल भारी होता है
क्योंकि यही से उनकी यादो का सिल-सिला जारी होता है" :)
छोडो ये Athletics और Athletics टीम की बातें :/
पर हाँ,
शायद जिन्दगी मे कुछ अच्छा कर रहे होगें तो ये लब्ज इसी की कहानी और किसी को सुना रहे होगें :)
CHAMPIONS FOREVER
Tuesday 24 May 2016
माँ की हँसी
सुख मे हॅस रही थी वो मेरे लिए
दुख मे भी हॅस रही थी वो सिर्फ मेरे लिए
दर्द उसे बहुत हो रहा था उस दिन
फिर भी हॅस रही थी वो सिर्फ मेरे लिए
दर्दो की गलियो मे खोयी थी वो सिर्फ मेरे लिए
दुखी होने के लिए उसके पास हजार वजह थी
फिर भी खुश होयी थी वो सिर्फ मेरे लिए
कोख उसी की पकडी थी मैने पलने के लिए
आज सफलता का पहाड तो चढ सकता हूॅ
मै पर उॅगली उसी की पकडी थी मैने चलने के लिए,
उन्हे पूरा करना चाहता हूॅ उसकी हॅसी देखने के लिए
कमजोर बना देती है राह की मुसीबते मुझे
फिर भी याद उसे ही करता हुॅ मजबूत बनने के लिए
उनके चेहरे पर हॅसी देखने की राहत भी है मुझे
डर लगता है कहीं उनकी हॅसी छीन ना जाये
क्योकि उनकी हॅसी देखने की आदत सी है मुझे ।
गीले बिस्तर पर सोयी थी वो मेरे लिए
मेहनत करता हॅ मै बस उसे खुश देखने के लिए
मेरे दिल मे सपने हजार सजे है उसके लिए
उन्हे हमेशा खुश देखने की चाहत सी है मुझे
उन्हे पूरा करना चाहता हूॅ उसकी हॅसी देखने के लिए
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