Tuesday 24 May 2016

                       माँ की हँसी


सुख मे हॅस रही थी वो मेरे लिए
दुख मे भी हॅस रही थी वो सिर्फ मेरे लिए
दर्द उसे बहुत हो रहा था उस दिन
फिर भी हॅस रही थी वो सिर्फ मेरे लिए

दर्दो की गलियो मे खोयी थी वो सिर्फ मेरे लिए
दुखी होने के लिए उसके पास हजार वजह थी
फिर भी खुश होयी थी वो सिर्फ मेरे लिए
कोख उसी की पकडी थी मैने पलने के लिए 

आज सफलता का पहाड तो चढ सकता हूॅ 
मै पर उॅगली उसी की पकडी थी मैने चलने के लिए,
उन्हे पूरा करना चाहता हूॅ उसकी हॅसी देखने के लिए
कमजोर बना देती है राह की मुसीबते मुझे 

फिर भी याद उसे ही करता हुॅ मजबूत बनने के लिए
उनके चेहरे पर हॅसी देखने की राहत भी है मुझे
डर लगता है कहीं उनकी हॅसी छीन ना जाये 
क्योकि उनकी हॅसी देखने की आदत सी है मुझे ।

गीले बिस्तर पर सोयी थी वो मेरे लिए
मेहनत करता हॅ मै बस उसे खुश देखने के लिए
मेरे दिल मे सपने हजार सजे है उसके लिए 
उन्हे हमेशा खुश देखने की चाहत सी है मुझे 

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